Hapur nwes :
Hapur student discovered artefact of Buddhist culture in Mathura :
अनुमति पर एक महीने तक मथुरा में बौद्ध संस्कृति को लेकर :
लज्जापुरी निवासी पीएचडी के छात्र ललित कुमार सांस्कृत्यायन ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की अनुमति पर एक महीने तक मथुरा में बौद्ध संस्कृति को लेकर क्षेत्रीय सर्वेक्षण किया। इसमें उन्हें गौसना गांव के पास स्थित ऊंचा टीले के पास कुषाण काल (राजा कनिष्क काल) की बौद्ध संस्कृति से जुड़ी अद्भुत कलाकृति मिली। जिसे राजकीय मथुरा संग्रहालय ने अभिलेख में दर्ज कर लिया गया है |
ललित कुमार मेरठ के सुभारती विश्वविद्यालय के सम्राट अशोक सुभारती स्कूल ऑफ बुद्धिस्ट स्टडीज के सलाहकार डॉ.हीरो हितो एवं एसोसिएट प्रोफेसर डॉ.सीमा शर्मा के निर्देशन में मथुरा स्थित पुरातात्विक बौद्ध स्थलों का विश्लेषणात्मक अध्ययन एवं पर्यटन की संभावना विषय पर शोध कर रहे हैं।
इस दौरान ललित ने एएसआई आगरा :
ललित कुमार ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण से मथुरा में शोध की अनुमति मांगी थी। 20 सितंबर 2023 को उन्हें एक माह के लिए शोध की अनुमति मिली। इस दौरान ललित ने एएसआई आगरा मंडल के अधीन आने वाले 42 स्मारकों का सर्वेक्षण किया। साथ ही इन स्मारकों के आस पास की आबादी से भी शोध से जुड़ी जानकारी एकत्र की।
https://hapurhulchul.com/?p=12754
उसके समीप एक राष्ट्रीय महत्व की कलाकृति मिली :
सर्वेक्षण के दौरान ललित कुमार को गौसना गांव के पास स्थित ऊंचा टीला जोकि एएसआई की निगरानी में है, उसके समीप एक राष्ट्रीय महत्व की कलाकृति मिली। यह कलाकृति कुषाण काल की थी, जो लाल चितिदार बलुआ पत्थर पर निर्मित है |इस कलाकृति की ऊपरी परिधि पर कमल की एक सुंदर पट्टी बनी है साथ ही एक अर्द्ध कमल बना है जो बौद्ध संस्कृति को दर्शाता है। इस कलाकृति की लंबाई 30 सेंटीमीटर है, जो एक बड़े स्तंभ का निचला हिस्सा रहा होगा।
ललित ने इसकी सूचना राजकीय संग्रहालय मथुरा को दी, उन्होंने कलाकृति संग्रहालय ने अधिग्रहण कर लिया। अपने संग्रहालय के अभिलेखों में पंजीयन संख्या 23.1 पर दर्ज कर लिया है।राजकीय संग्रहालय मथुरा की ओर से इस संबंध में प्रमाण पत्र भी शोधार्थी को दिया गया है, जो 28 जनवरी को ही उन्हें प्राप्त हुआ। कुल मिलाकर यह उपलब्धि हापुड़ के लिए है, क्योंकि इस तरह के शोध एक बड़ी संस्कृति को बयां करते हैं जो अब तक रहस्य बने हैं।