7 घंटे तक पड़ी रही मां की लाश, संपत्ति के लिए लड़ती रहीं 3 बेटियां
Mother’s dead body remained lying for 7 hours, 3 daughters kept fighting
for the property
औलाद को बुढापे का सहारा माना जाता है. हर मां-बाप उम्मीद करता है कि बुजुर्ग होने पर बच्चे उनकी देखरेख करेंगे और उन्हें सहारा देंगे. लेकिन मथुरा में एक ऐसी घटना सामने आई है, जिसे जानकर आपका सिर शर्म से झुक जाएगा. बीमारी से मौत होने पर बुजुर्ग मां का शव 7 घंटे तक शमसान घाट में पड़ा रहा लेकिन मुखाग्नि देने के बजाय 3 बेटियां संपत्ति के लिए आपस में लड़ती रहीं और अंतिम संस्कार नहीं होने दिया. आखिरकार रिश्तेदारों ने स्टांप पेपर मंगाकर तीनों बहनों के बीच संपतति का बंटवारा करवाया, उसके बाद ही चिता को अंतिम संस्कार किया गया यह घटना देखकर वहां मौजूद तमाम लोगों के सिर शर्म से झुक गए.
जानकारी के मुताबिक पुष्पा देवी (98) मूलरूप से मथुरा के नगला छीता गांव की रहने वाली थीं. उनके पति गिर्राज प्रसाद का निधन पहले ही हो चुका था. पुष्पा देवी का कोई बेटा नहीं था. बुढापे में वह अपनी शादीशुदा बेटियों के यहां रहकर बचा जीवन गुजार रही थीं. फिलहाल वे अपनी बेटी मिथलेश पत्नी मुरारी निवासी गली नंबर-5, आनंदपुरी, में रह रहीं थीं.
पुष्पा देवी की मौत हो गई
शनिवार रात को बीमारी की वजह से पुष्पा देवी की मौत हो गई. इसके बाद अर्थी तैयार कर रविवार सुबह उनके शव को बिरला मंदिर के पास मोक्षधाम ले जाया गया. तभी मृतका पुष्पा देवी की बड़ी बेटी शशी निवासी सादाबाद, जो कि विधवा हैं, वे अपनी बहन सुनीता के साथ वहां पहुंच गईं.
दोनों बहनों ने संपति के बंटवारे को लेकर बखेड़ा कर दिया. शशी ने कहा कि उनकी मां के नाम पर चार बीघा जमीन थी. उसकी वसीयत मिथलेश ने अपने नाम लिखा ली है, उसके आधार पर वह पूरी संपत्ति को अकेले रखना चाहती है. सुनीता ने कहा कि 4 बीघा में से डेढ बीघा जमीन मिथिलेश बेच चुकी है और अब वह बची जमीन भी बेचने की कोशिश में हैं.
शहर कोतवाली पुलिस भी पहुंच गई
मिथलेश ने अपनी दोनों बहनों की बात का विरोध किया. इसके चलते वहां गहमागहमी हो गई और अंतिम संस्कार की प्रक्रिया रुक गई. सूचना मिलने पर मौके पर गोविंद नगर और शहर कोतवाली पुलिस भी पहुंच गई. उन्होंने तीनों बहनों को समझाने की कोशिश की लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला. बहनों के बीच संपति विवाद में 7 घंटे गुजर गए. इसके बाद रिश्तेदारों ने तीनों बहनों के बीच संपति को लेकर बंटवारा करवाया.
समझौता उस पर लिखकर तीनों बहनों के साइन करवाए गए
बड़ी बहनों की मांग पर मौके पर स्टांप पेपर मंगवाया गया. उसके बाद पूरा समझौता उस पर लिखकर तीनों बहनों के साइन करवाए गए. इंस्पेक्टर रवि त्यागी के अनुसार चार बीघा जमीन में से मिथलेश डेढ़ बीघा जमीन को बेच चुकी है. अब केवल ढाई बीघा जमीन शेष बची है. समझौते में तय हुआ कि एक बीघा जमीन विधवा शशी को दी जाएगी. जबकि बाकी की जमीन में बराबर का बंटवारा सुनीता और मिथलेश के बीच किया जाएगा. समझौते पर साइन होने के बाद मां के पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार पूरा हो सका.
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