प्रोफेसर अजय मित्तल ने रचा इतिहास,कांच की प्लेट पर लिखी श्री रामचरितमानस
Professor Ajay Mittal created history, wrote Shri Ramcharitmanas on
a glass plate
Hapur news:- एक तरफ जहां पूरे देश में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर उत्साह का माहौल है तो वहीं दूसरी तरफ लोग राम मंदिर के जरिए चर्चा का हिस्सा बन रहे हैं। इसी बीच उत्तर प्रदेश के हापुड़ में रहने वाले श्री शांति स्वरूप कृषि इंटर कॉलेज के प्रोफेसर अजय कुमार मित्तल ने इतिहास रच दिया है।
प्रोफेसर अजय कुमार मित्तल ने एक सादे कांच के शीशे पर आयताकार ऑक्साइड-लेपित सतह पर सबसे छोटे श्री रामचरितमानस को उकेरने का रिकॉर्ड बनाया है। उनका नाम इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज हो गया है। मित्तल ने कहा “अब, जब राम जी 22 जनवरी को अपने घर में प्रवेश करने जा रहे हैं जिसके लिए हमारे पूर्वजों ने बलिदान दिया है, तो यह मेरी ओर से एक श्रद्धांजलि है। मुझे बहुत खुशी है कि मैंने भी भगवान राम के लिए थोड़ा योगदान दिया है।
भव्य राम मंदिर और रामलला की होगी प्राण प्रतिष्ठा
श्री राम जन्मभूमि अयोध्या में 500 साल इंतजार के बाद बन रहे भव्य राम मंदिर और रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा समारोह को देश भर में उत्साह का माहौल है। हर कोई अपने अपने हुनर और प्रयास से इस क्षण को यादगार बनाना चाहता है। कुछ ऐसा ही प्रयास उत्तर प्रदेश के हापुड़ में रहने वाले एक प्रोफेसर ने किया है।
उन्होंने दर्पण (कांच की प्लेट) पर दुनिया की सबसे छोटी रामचरित मानस उकेरा है। उनके यह प्रयास विश्व रिकार्ड बन गया। गिनीज ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड की टीम ने सत्यापित करने के बाद सर्टिफिकेट जारी किया है।
700 श्लोक का कांच में उकेर के बनाया था रिकॉर्ड
प्रोफेसर अजय कुमार मित्तल ने इससे पहले भागवत गीता के 700 श्लोक भी कांच में उकेर चुके हैं। उन्होंने कहा, आज 500 साल बाद अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण होने जा रहा है। इसे लेकर पूरे देश उत्साहित है। राम मंदिर लाखों राम भक्तों की त्याग तपस्या और बलिदान का प्रतिफल है।मुझे गर्व है कि भगवान राम के भगवान राम के उत्सव में कुछ कर पा रहा हूं।
300 पंक्तियों में पूरा महाकाव्य
प्रोफेसर अजय कुमार मित्तल उत्तर प्रदेश के श्री शांति स्वरूप कृषि इंटर कॉलेज हापुड़ में पदस्थ हैं। उन्होंने एक सादे कांच के दर्पण की आयताकार ऑक्साइड-लेपित सतह पर रामचरितमानस उकेरने का रिकॉर्ड बनाया है। प्रो अजय मित्तल ने संपूर्ण महाकाव्य को कांच की सतह पर 300 पंक्तियों के भीतर उकेरा है। इसमें दोहा, सोरठा, चौपाई, छंद सभी शामिल हैं।