हापुड़ – विश्व जनसंख्या दिवस पर जनसंख्या नियंत्रण क़ानून की माँग को लेकर जनसंख्या समाधान फाउंडेशन का धरना प्रदर्शन

हापुड़ – विश्व जनसंख्या दिवस पर जनसंख्या नियंत्रण क़ानून की माँग को लेकर जनसंख्या समाधान फाउंडेशन का धरना प्रदर्शन
हापुड़, 11 जुलाई 2025 (शुक्रवार):
विश्व जनसंख्या दिवस के अवसर पर जनसंख्या समाधान फाउंडेशन के नेतृत्व में हापुड़ कलेक्ट्रेट परिसर में एक विशाल धरना प्रदर्शन आयोजित किया गया। यह धरना पूरे देश के जिला मुख्यालयों पर चलाए गए अभियान का हिस्सा था। हापुड़ में यह प्रदर्शन फाउंडेशन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राजेंद्र गुर्जर व जिला अध्यक्ष सुन्दर कुमार आर्य के नेतृत्व में किया गया।
प्रदर्शन का मुख्य उद्देश्य देश में तेजी से बढ़ती जनसंख्या वृद्धि और जनसांख्यिकीय असंतुलन की ओर सरकार का ध्यान आकर्षित करना था। प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री के नाम एक ज्ञापन उपजिलाधिकारी रेनू सिंह को सौंपा।
ज्ञापन की मुख्य बातें:
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देश में एक वर्ग विशेष द्वारा जानबूझकर जनसंख्या बढ़ाने के षड्यंत्र का आरोप।
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सनातन समाज की युवा पीढ़ी में संतान सीमित रखने की प्रवृत्ति के चलते जनसंख्या संतुलन बिगड़ने की चेतावनी।
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देश के कई भागों में 6 वर्ष से कम आयु वर्ग में असंतुलन की ओर इशारा।
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तत्काल सख्त जनसंख्या नियंत्रण कानून लाने की मांग, जो सभी धर्मों व जातियों पर समान रूप से लागू हो।
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चेतावनी दी गई कि यदि यह कानून शीघ्र न लाया गया तो सरकार से सनातन समाज का विश्वास उठ जाएगा, जिसके राजनीतिक परिणाम भुगतने होंगे।
प्रदर्शन में शामिल संगठन:
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अखिल भारतीय गालव त्यागी ब्राह्मण महासभा
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राष्ट्रीय सैनिक संस्था
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भारतीय किसान यूनियन (भानू)
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भारतीय किसान यूनियन (अराजनीतिक)
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पश्चिमी उत्तर प्रदेश व्यापार मंडल
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अन्य दर्जनों सामाजिक व किसान संगठन
प्रमुख उपस्थिति:
राजेंद्र गुर्जर, सुन्दर कुमार आर्य, गुलशन त्यागी, गिरीश त्यागी, बिजेन्दर कसाना, दिनेश भारद्वाज, महेश आर्य, यशवीर नागर, प्रमेन्द्र त्यागी, जयकरण बंसल, रविन्द्र गुप्ता, मोहित अग्रवाल, धर्मेन्द्र, मनोज अग्रवाल, प्रदीप आर्य, मुकेश त्यागी, अमरेश त्यागी, संजय डाबर, दीपक त्यागी, सहित सैकड़ों कार्यकर्ता और समाजसेवी धरने में शामिल हुए।
राजेंद्र गुर्जर का बयान:
“भारत पहले ही जनसंख्या असंतुलन के कारण विभाजन भुगत चुका है। अगर अब भी सख़्त क़ानून नहीं बना तो यह चूक देश के लिए फिर से खतरे का संकेत बन सकती है।”
निष्कर्ष:
इस धरना प्रदर्शन ने एक बार फिर से जनसंख्या नियंत्रण कानून की मांग को राष्ट्रीय विमर्श के केंद्र में लाकर खड़ा कर दिया है। सरकार अब इस जन दबाव और चेतावनी को कैसे लेती है, यह आने वाले समय में स्पष्ट होगा।