बाबूगढ़ में बालश्रम का यह मामला न केवल कानून के उल्लंघन को दर्शाता है बल्कि बाल अधिकारों के हनन का भी एक उदाहरण है।
मुख्य बिंदु:
- घटना का विवरण:
- जांच अभियान: थाना एएचटीयू पुलिस और लेबर इंस्पेक्टर की संयुक्त टीम ने दुकानों, होटलों और कारखानों की जांच की।
- पकड़: जांच के दौरान एक साइकिल दुकान पर बालश्रम करते हुए एक नाबालिग को पकड़ा गया।
- मुक्ति: नाबालिग को बालश्रम से मुक्त कराया गया।
- आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई:
- दुकान मालिक के खिलाफ अग्रिम वैधानिक कार्रवाई की जा रही है।
- संदेश:
- टीम ने स्थानीय लोगों से अपील की है कि बालश्रम न कराएं और इसके खिलाफ जागरूकता बढ़ाएं।
कानूनी पहलू:
- बालश्रम निषेध अधिनियम, 1986:
- इस अधिनियम के तहत, 14 साल से कम उम्र के बच्चों से काम करवाना दंडनीय अपराध है।
- कानून के अनुसार, दोषी को सजा और जुर्माना दोनों का सामना करना पड़ सकता है।
- किशोर न्याय अधिनियम:
- नाबालिगों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए यह अधिनियम भी लागू होता है।
समाज की जिम्मेदारी:
- जागरूकता:
- स्थानीय स्तर पर जागरूकता अभियान चलाकर बालश्रम के खिलाफ आवाज उठानी होगी।
- माता-पिता और व्यवसायियों को बालश्रम की हानियों और इसके कानूनी परिणामों के बारे में बताया जाए।
- शिक्षा का प्रचार:
- बालश्रम रोकने के लिए बच्चों को स्कूल भेजना और उन्हें शिक्षा का अधिकार दिलाना प्राथमिकता होनी चाहिए।
प्रशासनिक सुझाव:
- नियमित अभियान:
- ऐसे अभियान समय-समय पर चलाए जाएं ताकि बालश्रम को रोका जा सके।
- शिकायत तंत्र:
- बालश्रम की शिकायत दर्ज कराने के लिए हेल्पलाइन नंबर और डिजिटल प्लेटफॉर्म को बढ़ावा दिया जाए।
- दंड प्रक्रिया तेज:
- दोषियों को जल्दी सजा दिलाने के लिए कानूनी प्रक्रिया को तेज किया जाए।
आपकी राय:
क्या आपको लगता है कि बालश्रम रोकने के लिए सख्ती के साथ-साथ नाबालिगों और उनके परिवारों को आर्थिक सहायता और शिक्षा के विकल्प भी मुहैया कराए जाने चाहिए?








