महाकुंभ 2025: 10 हजार किलोमीटर की पैदल यात्रा करके अक्षत पहुंचे प्रयागराज
Maha Kumbh 2025: Akshat reached Prayagraj after travelling 10 thousand kilometres on foot
प्रयागराज के महाकुंभ में साधु-संन्यासियों की तरह ही श्रद्धालुओं की दुनिया भी अनोखी है। कोई दंडवत करता हुआ पहुंच रहा है, तो कोई पैदल। बिहार के अक्षत तो 11 महीने 27 दिन की पैदल यात्रा करके महाकुंभ में अमृत स्नान करने पहुंचे हैं।
अक्षत का अनोखा सफर:
पैदल यात्रा का संकल्प: बिहार के वैशाली जिले के पटेरी बेलसर गांव के रहने वाले अक्षत सिंह ने भारत भ्रमण के लिए बैंक, रेलवे और कर्मचारी चयन आयोग की नौकरी भी छोड़ दी।
10,000 किलोमीटर की पैदल यात्रा: 11 महीने 27 दिन की इस यात्रा में अक्षत ने दो धाम और छह ज्योतिर्लिंग की यात्रा पूरी कर ली है। उन्होंने बाबा बैद्यनाथ, नागेश्वर, सोमनाथ, ओंकारेश्वर, महाकालेश्वर, त्रयंबकेश्वर के दर्शन किए। इसके बाद उन्होंने जगन्नाथपुरी और द्वारिका की भी यात्रा की।
रोज 35 किलोमीटर पैदल: अक्षत बताते हैं कि वह सुबह आठ बजे से यात्रा की शुरुआत करते हैं। सर्दियों में शाम को चार बजे तक, गरमी में शाम को छह बजे तक पैदल चलते हैं। उनकी रोज़ की लक्ष्य 35 किलोमीटर की होती है, लेकिन कई बार यह कम या ज्यादा हो जाती है।
मकर संक्रांति का अमृत स्नान: अक्षत ने 14 जनवरी को मकर संक्रांति पर 18 किलोमीटर अधिक पैदल चलकर गंगा स्नान भी किया।
पांच दिन तक महाकुंभ मेले में घूमना: अब वह पांच दिनों तक महाकुंभ के मेले में पैदल यात्रा करेंगे।
अक्षत का उद्देश्य:
विविधताओं का अनुभव: अक्षत कहते हैं कि वह भारत की विविधताओं को नजदीक से जानने के लिए पैदल यात्रा कर रहे हैं। भारत जैसी विविधता पूरी दुनिया में कहीं नहीं है, चाहे वह खाना, संस्कृति, कला या भाषा हो।
पर्यटन को जॉब बनाने का संकल्प: अक्षत ने तीन-तीन नौकरियां छोड़ दीं, और अब अपने सपनों को पूरा करने के लिए पर्यटन को अपना जॉब बना लिया है।
पिता किसान, माता गृहणी: अक्षत के पिता रविंद्र सिंह किसान हैं, और उनकी माता सावित्री देवी गृहणी हैं।
अक्षत की यात्रा अभी खत्म नहीं हुई है। उन्होंने डेढ़ साल की और यात्रा बाकी रखी है, जिसमें वह भारत के और भी कई महत्वपूर्ण धार्मिक स्थानों की यात्रा करेंगे।