कुंदरकी विधानसभा उपचुनाव में भाजपा को मिली ऐतिहासिक जीत ने पार्टी के लिए एक नई ऊर्जा का संचार किया है। यह जीत न केवल स्थानीय कार्यकर्ताओं के मनोबल को बढ़ाने वाली है, बल्कि आगामी चुनावों के लिए पार्टी की रणनीति को भी नई दिशा देती है।

पिछले प्रदर्शन की चुनौतियां
- 2022 के विधानसभा चुनाव में मुरादाबाद जिले की छह में से पांच सीटें सपा के खाते में गईं।
- 2024 के लोकसभा चुनाव में मुरादाबाद और संभल लोकसभा सीटों पर भी भाजपा को सपा के हाथों हार का सामना करना पड़ा।
- इससे कार्यकर्ताओं और स्थानीय नेतृत्व में निराशा थी।
कुंदरकी में जीत के पीछे रणनीति
- वरिष्ठ नेताओं की सक्रियता:
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक, और प्रदेश के अन्य मंत्री चुनाव प्रचार में सक्रिय रहे।
- स्थानीय विकास योजनाएं:
- चार प्रमुख सड़कों और एक स्टेडियम की मंजूरी।
- अल्पसंख्यक सम्मेलन का आयोजन।
- संगठनात्मक मजबूती:
भाजपा ने जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं को सक्रिय किया और जनता से सीधा संवाद किया।
राजनीतिक प्रभाव
- भाजपा प्रदेश अध्यक्ष चौधरी भूपेंद्र सिंह की प्रतिष्ठा:
कुंदरकी उनकी गृह विधानसभा है, और इस जीत को उनकी व्यक्तिगत उपलब्धि के रूप में देखा जा रहा है।
- 2027 विधानसभा चुनाव की झलक:
नेताओं का मानना है कि कुंदरकी की रणनीति 2027 के चुनाव में दोहराई जाएगी।
भाजपा के लिए संदेश
कुंदरकी की जीत पार्टी के लिए “संजीवनी” के समान है, जिससे आगामी चुनावों में कार्यकर्ताओं का जोश बढ़ेगा। इसके अलावा, सपा के गढ़ में सेंध लगाकर भाजपा ने यह संदेश दिया है कि विकास कार्य और संगठन की मजबूती से वह किसी भी चुनौती का सामना कर सकती है।