
खरना छठ पूजा का एक महत्वपूर्ण दिन है और इसे छठ पर्व के दूसरे दिन मनाया जाता
खरना छठ पूजा का एक महत्वपूर्ण दिन है और इसे छठ पर्व के दूसरे दिन मनाया जाता है। इस दिन व्रतधारी पूरे दिन निर्जला उपवास रखते हैं और शाम को विशेष पूजा करते हैं।
खरना के दिन विशेष प्रसाद बनता है, जिसमें मुख्य रूप से गुड़, चावल और दूध का प्रयोग किया जाता है।
इस प्रसाद को “खरना का प्रसाद” कहते हैं और इसमें मुख्यतः चावल की खीर, रोटी, और केले शामिल होते हैं।
खरना का महत्व इस प्रकार है:
1. शुद्धिकरण और संयम: खरना का दिन व्रतधारियों के शरीर और आत्मा की शुद्धि का प्रतीक है।
व्रतधारी इस दिन पूरे संयम से उपवास रखते हैं और खुद को पवित्र करते हैं।
2. संकल्प और तैयारी: खरना के दिन के बाद, व्रतधारी 36 घंटे का कठिन निर्जला उपवास रखते हैं।
इसे अगले दिन अस्ताचलगामी सूर्य और चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने की तैयारी के रूप में देखा जाता है।
3. सादगी और श्रद्धा: खरना का प्रसाद साधारण और सात्विक होता है, जो व्रतधारियों की श्रद्धा और आस्था को दर्शाता है।
इसे व्रतधारी खुद बनाते हैं और बड़ी पवित्रता से ग्रहण करते हैं।
छठ पूजा में खरना का दिन व्रतधारियों के लिए मानसिक और शारीरिक शक्ति को बढ़ाने का समय होता है, ताकि वे अगले कठिन उपवास को पूरी श्रद्धा और शक्ति के साथ पूरा कर सकें।
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