
Hapur hulchul news -छठ पूजा का महापर्व नहाय-खाय के साथ शुरू
छठ पूजा का महापर्व नहाय-खाय के साथ शुरू होता है। नहाय-खाय छठ पूजा का पहला दिन होता है, जिसमें व्रती (व्रत करने वाले) पवित्रता और शुद्धता का विशेष ध्यान रखते हैं।
इस दिन घर की सफाई की जाती है, और व्रती खुद पवित्र जलाशयों, नदियों या गंगा स्नान करके शुद्ध होते हैं। इसके बाद वे शुद्ध और सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं, जिसे “नहाय-खाय” के नाम से जाना जाता है।
नहाय-खाय का महत्व
पवित्रता का प्रतीक: नहाय-खाय का दिन व्रती के लिए विशेष रूप से पवित्र होता है। इस दिन व्रती मानसिक और शारीरिक शुद्धता का पालन करते हैं, जो इस पर्व के संकल्प की शुरुआत का प्रतीक है।
सात्विक भोजन: नहाय-खाय के दिन व्रती सादा और शुद्ध भोजन करते हैं। आमतौर पर इस दिन कद्दू-भात या लौकी की सब्जी, चने की दाल और चावल बनते हैं, जो घर के पवित्र भोजन का प्रतीक होते हैं।
घर का माहौल: इस दिन से पूरे घर का माहौल भक्तिमय और पवित्र हो जाता है। परिवार के सभी सदस्य इस पर्व में सहयोग करते हैं और श्रद्धा के साथ तैयारियां करते हैं।
नहाय-खाय के बाद छठ पूजा का क्रम
1. पहला दिन – नहाय-खाय: व्रती स्नान करके पवित्रता का संकल्प लेते हैं और सात्विक भोजन करते हैं।
2. दूसरा दिन – खरना: इस दिन व्रती पूरे दिन का उपवास रखकर शाम को विशेष प्रसाद (खीर और रोटी) ग्रहण करते हैं।
3. तीसरा दिन – संध्या अर्घ्य: व्रती गंगा, नदी या जलाशय के किनारे जाकर सूर्यास्त के समय सूर्य देवता को अर्घ्य अर्पित करते हैं।
4. चौथा दिन – उषा अर्घ्य और पारण: इस दिन व्रती सूर्योदय के समय उगते सूर्य को अर्घ्य देते हैं और व्रत का समापन करते हैं।
नहाय-खाय से शुरू होकर छठ पूजा का महापर्व चार दिनों तक चलता है, जिसमें व्रती अपने परिवार, समाज और सम्पूर्ण विश्व की सुख-समृद्धि, स्वास्थ्य और खुशहाली की कामना करते हैं।
यह पर्व समर्पण, धैर्य और त्याग का प्रतीक है और इसे बड़ी श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है।
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