गढ़- बालू का अवैध खनन जोरों पर
Garh- Illegal sand mining in full swing
गढ़मुक्तेश्वर क्षेत्र में बालू का अवैध खनन बड़े पैमाने पर जारी है, जिससे न केवल पर्यावरण को नुकसान हो रहा है, बल्कि आसपास के जंगलों और हरे-भरे पेड़ों के अस्तित्व पर भी खतरा मंडरा रहा है। गढ़ गंगा मेला मार्ग के पास वन विभाग के जंगलों में यह अवैध गतिविधि माफियाओं द्वारा बेखौफ अंजाम दी जा रही है।
प्रमुख समस्याएं:
- जंगलों पर खतरा: मस्तराम कुटी के सामने के जंगलों में सैकड़ों पेड़ों की जड़ें बालू खनन के कारण कमजोर हो रही हैं, जिससे उनके गिरने का खतरा बढ़ गया है।
- वन विभाग की निष्क्रियता: वन विभाग की छापेमारी केवल औपचारिकता बनकर रह गई है। माफिया कार्रवाई से बचने में कामयाब हो रहे हैं।
- खनन का पैटर्न: बग्गियों का इस्तेमाल कर माफिया बालू का खनन करते हैं और एक बग्गी बालू के लिए 500 रुपए कमाते हैं। यह बालू माफिया ऊंचे दामों पर आगे बेचते हैं।
पर्यावरणीय और सामाजिक प्रभाव:
- वन क्षेत्र की बर्बादी: जंगल नष्ट होने से न केवल पेड़ों का नुकसान हो रहा है, बल्कि जैव विविधता और पर्यावरणीय संतुलन भी बिगड़ रहा है।
- स्थानीय निवासियों पर प्रभाव: अवैध खनन से मिट्टी का कटाव बढ़ता है, जो आसपास के खेतों और नदियों के लिए हानिकारक है।
आवश्यक कार्रवाई:
- सख्त निगरानी: वन विभाग और स्थानीय पुलिस को नियमित निगरानी बढ़ानी चाहिए और खनन रोकने के लिए कठोर कदम उठाने चाहिए।
- माफियाओं पर कार्रवाई: अवैध खनन में शामिल लोगों की पहचान कर उनके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए।
- स्थानीय समुदाय की भागीदारी: पर्यावरण संरक्षण के लिए स्थानीय लोगों को जागरूक कर इस समस्या के खिलाफ लड़ाई में शामिल किया जाए।
अवैध खनन पर रोक लगाकर ही इस क्षेत्र के पर्यावरण और जंगलों को बचाया जा सकता है।