विधि विरुद्ध शासकीय अधिवक्ता का पद पाने वाले को शासन ने हटाया
The government removed the person who got the post of government
advocate against the law
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भ्रष्टाचार को रोकने के लिए चाहे जितने भी कड़े कदम उठा ले परंतु सच्चाई इसके बिलकुल विपरीत है भ्रष्ट अधिकारियों के कारनामे आये दिन अपने निजी स्वार्थ को लेकर सरकार को गुमराह कर उसकी छवि धूमिल करने में कोई कोर कसर छोड़ते नजर नहीं आ रहे हैं
जिसकी बानगी जनपद हापुड़ में देखने को मिली जहां शासकीय अधिवक्ता ने नियम कानून को तांक पर रखकर जिले के शासकीय अधिवक्ता (फौजदारी) का पद प्राप्त कर लिया इस पद को प्राप्त करने के लिए
जिलाधिकारी द्वारा भेजी गई
शासकीय अधिवक्ता ने नियम और कानून को ताक पर रखकर करीब चार वर्षो से सरकार को लगा रहा था
राजस्व का चूना वही जिला प्रशासन की रिपोर्ट में हुए खुलासे के बाद कानून के जानकारों का कहना है कि इस पद को पाने के लिए कृष्ण कांत गुप्ता ने तथ्य को छुपाते हुए विधि विरुद्ध कार्य किया जब इस प्रकरण की शिकायत 6 जून को जिलाधिकारी हापुड़ ने अपनी रिपोर्ट न्याय विभाग को भेजी जिलाधिकारी द्वारा भेजी गई इस रिपोर्ट में खुलासे के न्याय विभाग में हड़कंप मच गया और आनन—फानन में हापुड़ शासकीय अधिवक्ता को उनके पद से हटाने के लिए वैधानिक कार्यवाही शुरू कर दी।
जांच रिपोर्ट के अनुसार
शासकीय अधिवक्ता (फौजदारी) पद के लिए 28 जुलाई 2017 को आवेदन किया था। जिसके आधार पर 16 जनवरी 2019 को कृष्णकांत गुप्ता को शासकीय अधिवक्ता (फौजदारी) के पद पर नियुक्ति की गई। आरोप है कि उनके द्वारा जानबूझकर पद प्राप्त करने के लिए अपने आवेदन पत्र में विधि व्यवसाय से होने वाली आय के संबंध में गलत जानकारी प्रस्तुत की। जांच रिपोर्ट के अनुसार, वास्तविकता यह है कि जिस समय उनके द्वारा शासकीय अधिवक्ता (फौजदारी) के पद के लिए आवेदन किया गया था
उस समय वह स्वर्ग आश्रम रोड स्थित राधिका पैलेस नामक बरातघर फर्म में प्रोपराइटर के रूप में अपना निजी व्यवसाय कर रहे थे जिसके आधार पर उन्होंने एक बैंक में अपना एकाउंट भी खोल रखा है। जिसकी आयकर रिटर्न में भी इस बात की पुष्टि हुई है।
नगर पालिका परिषद हापुड़ से लाइसेंस प्राप्त किया
व्यवसाय के संबंध में उनके द्वारा नगर पालिका परिषद हापुड़ से लाइसेंस प्राप्त किया गया और समय समय पर वह लाइसेंस रिन्यू भी कराते रहें। राधिका पैलेस नामक बरातघर फर्म से होने वाले मुनाफे को दर्शाया है ना कि विधि व्यवसाय से होने वाली आय को। इससे स्पष्ट है कि जिस समय उन्होंने शासकीय अधिवक्ता (फौजदारी) पद के लिए आवेदन किया था। उस समय उनकी विधि व्यवसाय से कोई आय नहीं हो रही थी।
जिला प्रशासन के अधिकारियों का कहना
प्रकरण से साफ है कि शासकीय अधिवक्ता (फौजदारी) जैसे गरीमामयी पद को पाने के लिए तत्थयों को छिपाया गया। अगर आवेदन के समय ही सबंधित प्रपत्रों की गहनता से जांच की गई होती तो कृष्णकांत गुप्ता को शासकीय अधिवक्ता (फौजदारी) के पद पर आसीन होने से रोका जा सकता था। न्याय विभाग ने कृष्ण कांत गुप्ता को पद से हटाने की कार्रवाई सुनिश्चित कर डीएम प्रेरणा शर्मा को पत्र भेजकर कर दी वही जिला प्रशासन के अधिकारियों का कहना है की कृष्णकांत गुप्ता से वसूली व कानूनी कार्यवाही की तैयारी कि जा रही है।
जिलाधिकारी प्रेरणा शर्मा का कहना
जिलाधिकारी प्रेरणा शर्मा का कहना है कि न्याय विभाग में उक्त मामले में जांच रिपोर्ट मांगी थी जिसे उन्होंने 6 जून को भेज दिया था विशेष सचिव न्याय विभाग शासन द्वारा कृष्णकांत गुप्ता को शासकीय अधिवक्ता (फौजदारी) के पद समाप्त करने के आदेश का पालन करते हुए उन्हे पद से हटा दिया गया है।
ये है नियम
नियमों के अनुसार, जिला शासकीय अधिवक्ता के पद पर आवेदन करने वाले व्यक्ति का फौजदारी न्यायालय में दस वर्ष का वकालत का अनुभव और पिछले तीन वर्षों तक विधि से होने वाली आय का विवरण आवेदन पत्र के साथ प्रस्तुत करना था।
वही जिलाधिकारी ने विशेष सचिव, उत्तर प्रदेश शासन, न्याय अनुभाग-3 (नियुक्तियाँ), लखनऊ के पत्र संख्या डी-650/सात-न्याय-3-23-36जी / 21 के पालन में जिसमे दिनांक 22 जून, 2023 को जिले में तीनो शासकीय अधिवक्ता पदों 1. जिला शासकीय अधिवक्ता (राजस्व) 2. जिला शासकीय अधिवक्ता (दीवानी) 3. जिला शासकीय अधिवक्ता (फौजदारी) 4. सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता (दीवानी)के लिए आवेदन की मांग करते हुए सुचना विभाग के माध्यम से आवेदन मांगे गए है
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