बरसात में सांपों को फटकने भी नहीं देगा! ये पौधा
Will not even allow snakes to burst in the rain! this plant
यूं तो सांप किसी भी मौसम में दिख जाता हे तो इंसान की रूह कांप जाती है लेकिन खासतौर पर बरसात एक ऐसा मौसम है, बरसात के मौसम में सांपो जायदा देखा जाता हे क्युकी बारीश के मौसम में इनके बिल में पानी भर जाता हे और ये अपने बिल से बहार निकल आते हे गांवों में तो सांपों के काटने की घटनाएं भी खूब सुनने को मिलती हैं
आजकल सांप के ज़हर का तोड़ तो मेडिकल साइंस में मौजूद है लेकिन एक ऐसा पौधा भी है, जिसे लगाने के बाद सांप आपके घर के आसपास नहीं दिखाई देगा .
आयुर्वेद में एक ऐसे पौधे का जिक्र किया जाता है, जिसकी गंध से ही सांप उसके आसपास नहीं आते,. इस पौधे को सर्पगंधा के नाम से जाना जाता है. चरक संहिता में इस पौधे का उल्लेख विषैले जीवों के काटने के बाद उपचार के तौर पर किया जाता है. मध्य प्रदेश के जंगलों के अलावा उत्तराखंड में भी ये पौधे पाए जाते हैं और कई जगहों पर तो इनकी बाकायदा खेती होती है.
सर्पगंधा इसका संस्कृत नाम
सर्पगंधा का वैज्ञानिक नाम रावोल्फिया सर्पेंटीना है. इसे सर्पेंटीन या स्नेक रूट के नाम से भी जाना जाता है, जबकि सर्पगंधा इसका संस्कृत नाम है. प्राकृतिक गुणों से भरपूर सर्पगंधा बरसात के मौसम में सांपों को दूर भगाने के लिए बगीचे में लगाया जाता है. इसकी पत्तियां चमकीली और हरी होती हैं, जबकि जड़ों का रंग पीला और भूरा होता है. कहा जाता है कि इस पौधे की गंध इतनी अजीब होती है कि सांप इसे सह नहीं पाते और दूर भाग जाते हैं. इसकी खासियत इतनी ही नहीं है ये पौधा सांप के काटने के बाद विष नाशक के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है.
इस पौधे का वैज्ञानिक नाम जर्मनी के प्रख्यात फिजिशियन, वनस्पतिशास्त्री, यात्री तथा लेखक लियोनार्ड राओल्फ के सम्मान में दिया था. चरक संहिता के अलावा अंग्रेज़ रम्फियस ने भी इस जड़ी-बूटी के बारे में लिखा है कि भारत और जावा में इस पौधे का इस्तेमाल हर तरह के विष को निष्क्रिय करने के लिए किया जाता है. उनके मुताबिक विषैले सर्पों के विष को भी ये दवा प्रभावहीन करने में सक्षम है. हालांकि अब मेडिकल हेल्प उपलब्ध है, ऐसे में डॉक्टर के पास ले जाना ही सुरक्षित रहता है लेकिन विषम परिस्थितियों में बिच्छू और मकड़ी के ज़हर को भी पौधे की पत्तियां और छाल कम कर सकती है.