Hapur News-कागजों में खर्च हो गए 50 लाख, नहीं साफ हुए नाले

Hapur News-कागजों में खर्च हो गए 50 लाख, नहीं साफ हुए नाले
हापुड़।
मानसून की दस्तक से पहले जहां शहरों में जल निकासी को लेकर सतर्कता होनी चाहिए, वहीं हापुड़ नगर पालिका की लापरवाही इस बार शहरवासियों के लिए बड़ी मुसीबत बन सकती है। नालों की सफाई पर 50 लाख रुपए खर्च दिखाए जा चुके हैं, फिर भी शहर के 39 में से अधिकांश नाले गंदगी से अटे पड़े हैं।
बरसात सिर पर, तैयारियां अधूरी
जुलाई के पहले सप्ताह में मानसून के आगमन की उम्मीद है, लेकिन हापुड़ की गलियां और मुख्य सड़कें जलभराव के खतरे में हैं। बीते वर्षों की तरह इस बार भी हल्की बारिश में ही सड़कें तालाब बन सकती हैं।
खर्च हुए करोड़ों, दिखी नहीं सफाई
नगर पालिका ने दस्तावेजों में बताया है कि—
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कुल 50 लाख रुपए से अधिक खर्च हो चुके हैं।
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5 मुख्य नालों की सफाई के लिए अलग से 25 लाख का टेंडर हुआ था।
फिर भी स्थानीय लोगों का आरोप है कि नालों की हालत देखकर कहीं से भी नहीं लगता कि सफाई हुई हो। कई जगहों पर गंदगी, कूड़ा और कीचड़ जमा है।
आला अधिकारियों की नाराजगी भी बेअसर
5 जून को नगर विकास विभाग के विशेष सचिव उदय भानु त्रिपाठी और जिले के प्रशासनिक अधिकारियों ने निरीक्षण के दौरान नालों की दुर्दशा पर नाराजगी जताई थी, लेकिन उसके बाद भी हालात जस के तस हैं।
आंकड़ों की हकीकत:
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कुल 39 नाले, जिनमें:
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5 बड़े नाले
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34 छोटे नाले
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कागजों में सफाई अभियान पूरा घोषित
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जमीन पर नाले अभी भी जाम
जनता पर मंडराता खतरा:
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भारी जलभराव, बीमारियों का खतरा
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ट्रैफिक जाम, दुर्घटनाओं की आशंका
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नागरिकों को आर्थिक, मानसिक और स्वास्थ्य संबंधी नुकसान
सवाल जो उठ रहे हैं:
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आखिर 50 लाख की सफाई कहां और कैसे हुई?
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क्या जिम्मेदारों पर कोई कार्रवाई होगी?
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मानसून से पहले प्रशासन जागेगा या फिर जनता जलभराव में फंसेगी?
स्थानीय लोगों की मांग है कि नगर पालिका और जिला प्रशासन तत्काल प्रभाव से नालों की वास्तविक स्थिति की जांच कराए और जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई हो। वरना आने वाला मानसून लोगों के लिए मुसीबतों की बारिश लेकर आएगा।