प्रदेश की अर्थव्यवस्था में हापुड़ का योगदान 1% से भी कम, पिछड़े जिलों की सुस्त रफ्तार बनी चुनौती

प्रदेश की अर्थव्यवस्था में हापुड़ का योगदान 1% से भी कम, पिछड़े जिलों की सुस्त रफ्तार बनी चुनौती
हापुड़ | जून 2025:
एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार लगातार कोशिशों में जुटी हुई है, लेकिन इस महायज्ञ में हापुड़ जैसे कई जिले अपेक्षित योगदान नहीं दे पा रहे हैं। ताज़ा आंकड़े बताते हैं कि प्रदेश के 43 जिलों का सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) में योगदान 1% से भी कम है, और हापुड़ भी इन्हीं में शामिल है।
हापुड़: उद्योग और कृषि के बावजूद आर्थिक योगदान कम क्यों?
हापुड़ की पहचान कागज उद्योग, कृषि उत्पाद, और लोहे के कारोबार के लिए होती है, लेकिन इसके बावजूद राज्य अर्थव्यवस्था में इसका हिस्सा निराशाजनक है। इसका प्रमुख कारण है—
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नई औद्योगिक इकाइयों की स्थापना की कमी
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श्रमिकों का पलायन
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सर्विस सेक्टर और आईटी आधारित निवेश का अभाव
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नवाचार और तकनीक आधारित MSME इकाइयों की संख्या बेहद सीमित
पश्चिम बनाम पूर्वी यूपी: विकास में बड़ा अंतर
आंकड़ों के अनुसार,
पश्चिमी यूपी GSDP में 54.8% का योगदान दे रहा है, जबकि
पूर्वी यूपी का योगदान केवल 27.51% है।
यह अंतर सरकार के विकास मॉडल की असंतुलित प्रकृति को दर्शाता है।
सबसे पिछड़े 10 जिले और उनका डीडीपी (District Domestic Product)
जिला | 2020-21 | 2023-24 |
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श्रावस्ती | 0.31% | 0.35% |
चित्रकूट | 0.45% | 0.58% |
संत कबीर नगर | 0.54% | 0.57% |
औरैया | 0.66% | 0.594% |
भदोही | 0.52% | 0.51% |
कौशांबी | 0.55% | 0.56% |
महोबा | 0.53% | 0.57% |
मऊ | 0.65% | 0.59% |
कन्नौज | 0.68% | 0.60% |
कासगंज | 0.61% | 0.60% |
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बुनियादी ढांचे की कमी (सड़क, बिजली, इंटरनेट)
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औद्योगिक निवेश का अभाव
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शैक्षिक संस्थानों और तकनीकी प्रशिक्षण केंद्रों की कमी
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महिलाओं और युवाओं की रोजगार में कम भागीदारी
आगे की राह: समाधान क्या है?
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जिलावार विकास मॉडल: एक समान योजना नहीं, बल्कि क्षेत्रीय क्षमताओं के अनुसार विकास योजना।
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स्थानीय MSME को प्रोत्साहन: हापुड़ में लघु उद्योगों को सब्सिडी व टेक्नोलॉजी सपोर्ट।
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इन्फ्रास्ट्रक्चर सुधार: खासकर बिजली, सड़क और इंटरनेट कनेक्टिविटी।
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नवाचार व स्टार्टअप कल्चर: युवा उद्यमियों के लिए योजनाएं।
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कृषि आधारित वैल्यू चेन का निर्माण: हापुड़ जैसे जिलों में एग्री-बिजनेस हब।
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