मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना में भ्रष्टाचार: 360 में से 357 शादियां संदेह के घेरे में
Corruption in Chief Minister’s mass marriage scheme: 357 out of 360 marriages are under suspicion
मुख्य बिंदु:
भ्रष्टाचार का खुलासा:
कानपुर में दिसंबर 2024 में मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के तहत 360 जोड़ों की शादी कराई गई थी।
जांच में पता चला कि कई जोड़ों ने फेरे ही नहीं लिए, और कई दुल्हनें बिना मांग भरे कार्यक्रम में उपस्थित थीं।
सोशल मीडिया से उठा मामला:
आयोजन के दौरान सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में यह स्थिति उजागर हुई।
वीडियो में कई दूल्हा-दुल्हन वैवाहिक प्रक्रिया पूरी किए बिना ही दिखे।
जांच और दस्तावेजों की कमी:
समाज कल्याण निदेशक प्रशांत कुमार ने मामले की जांच उप निदेशक महिमा मिश्रा को सौंपी।
पटल प्रभारी मिनेष गुप्ता ने जांच में सहयोग नहीं किया और लाभार्थियों के दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए।
जांच अधिकारी ने अपने स्तर पर पतारा और घाटमपुर ब्लॉकों के तीन लाभार्थियों के दस्तावेज जुटाए, जिनमें कई खामियां पाई गईं।
खामियों के उदाहरण:
पतारा ब्लॉक की अर्चना के आवेदन में वधू के पिता का आय प्रमाण पत्र नहीं था।
काजल (पतारा ब्लॉक) ने अपने पिता की जगह खुद का आय प्रमाण पत्र लगाया था, जो शासनादेश के खिलाफ है।
घाटमपुर ब्लॉक की रूबी देवी ने पांच साल पुराना आय प्रमाण पत्र लगाया, जबकि वैधता केवल तीन साल की होती है।
अन्य जोड़े भी संदेह के घेरे में:
जांच के बाद तीनों लाभार्थियों को अपात्र पाया गया।
पटल प्रभारी की जांच में सहयोग न करने और दस्तावेजों की कमी के कारण बाकी 357 जोड़ों की जांच नहीं हो सकी।
निलंबन की संस्तुति:
उप निदेशक महिमा मिश्रा ने पटल प्रभारी मिनेष गुप्ता को दोषी मानते हुए उनके निलंबन की संस्तुति की है।
रिपोर्ट के अनुसार, विभागीय अधिकारियों ने जांच में किसी भी प्रकार का सहयोग नहीं किया।
योजना का दुरुपयोग:
मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के तहत हर जोड़े पर ₹51,000 खर्च किए गए थे।
इसमें ₹35,000 नकद, ₹10,000 उपहार, और ₹6,000 खाने-पीने पर खर्च किए गए।
समाज कल्याण विभाग की कार्रवाई:
दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की संभावना है।
योजना के तहत बाकी जोड़ों की सत्यता सुनिश्चित करने के लिए विस्तृत जांच आवश्यक है।
महत्व:
यह घटना मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना जैसे कल्याणकारी प्रयासों में पारदर्शिता की आवश्यकता को रेखांकित करती है। गरीबों और जरूरतमंदों के लिए बनाई गई इस योजना का भ्रष्टाचार से प्रभावित होना न केवल सरकारी धन का दुरुपयोग है, बल्कि लोगों का विश्वास भी कम करता है।