14 सालों से हाथ उठाकर तपस्या करना मानव इच्छाशक्ति की चरम सीमा को दर्शाता
राधे पुरी बाबा का यह हठ योग और तपस्या न केवल साधना का प्रतीक है, बल्कि उनके दृढ़ संकल्प और आत्मानुशासन का अद्भुत उदाहरण भी है। 14 सालों से हाथ उठाकर तपस्या करना मानव इच्छाशक्ति की चरम सीमा को दर्शाता है। इस प्रकार की साधना में शारीरिक और मानसिक दोनों ही स्तरों पर असाधारण धैर्य की आवश्यकता होती है।
महाकुंभ, जो 13 जनवरी 2025 से गंगा के पावन तट पर आयोजित होगा, विभिन्न अखाड़ों के साधु-संतों और उनकी अद्भुत साधनाओं का संगम बनेगा। इस आयोजन में राधे पुरी बाबा जैसे साधु-संतों की तपस्या न केवल श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र बनेगी, बल्कि उनके जीवन में आध्यात्मिक प्रेरणा का स्रोत भी बनेगी।
बाबा राधे पुरी का हठ योग विश्व कल्याण के उद्देश्य को समर्पित है, जो उनकी तपस्या को और भी महान बनाता है। यह संदेश देता है कि सच्ची साधना केवल आत्म कल्याण के लिए नहीं, बल्कि समूचे विश्व के हित के लिए की जानी चाहिए।