वाराणसी के धर्मपुर गांव की शिखा यादव ने अपने संघर्ष और मेहनत के बल पर ओडिशा में आयोजित तीन किलोमीटर वॉक रेस में स्वर्ण पदक जीतकर राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई है। गांव की पगडंडियों पर दौड़ते हुए स्कूल जाने वाली इस बेटी की कहानी प्रेरणादायक है।

संघर्ष से स्वर्ण तक का सफर
शिखा यादव ने 2020 में खेल प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेना शुरू किया।
- पहली जीत: भारत सेवक समाज इंटर कॉलेज की ओर से प्रादेशिक प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीता।
- राष्ट्रीय स्तर पर पहचान: 2024 में छत्तीसगढ़ में आयोजित यूथ नेशनल प्रतियोगिता में रजत पदक जीता।
- हालिया सफलता: ओडिशा में जूनियर नेशनल एथलेटिक्स में तीन किलोमीटर वॉक रेस में स्वर्ण पदक।
खेल के लिए छोड़ा घर
खेलने के जुनून में शिखा ने गांव से 16 किलोमीटर दूर लालपुर स्टेडियम में ट्रेनिंग लेने का फैसला किया।
- किराए के कमरे में रहकर पढ़ाई और खेल का संतुलन बनाए रखा।
- उनके कोच चंद्रभान यादव ने उन्हें प्रशिक्षित किया।
परिवार और गांव का समर्थन
- पिता उमाकांत यादव: पहले खेल पर आपत्ति जताई, पर अब बेटी की सफलता पर गर्व महसूस करते हैं।
- दादा छविनाथ यादव: शिखा के पहले पदक जीतने पर मिठाई बांटी और उसका हौसला बढ़ाया।
शिखा की उपलब्धि पर सम्मान
धर्मपुर में आयोजित भव्य स्वागत समारोह में शिखा का अभिनंदन किया गया।
- विशिष्ट अतिथि: अंतरराष्ट्रीय धावक और लक्ष्मण अवार्डी रमेश यादव ने शिखा को अंतरराष्ट्रीय स्तर के जूते देने का वादा किया।
- अध्यक्षता: जिला ओलंपिक संघ के उपाध्यक्ष डॉ. अशोक कुमार सिंह ने कहा कि ग्रामीण इलाकों में प्रतिभाओं की कमी नहीं है, उन्हें बस सही समय पर प्रोत्साहन चाहिए।
प्रेरणा का स्रोत बनीं शिखा
शिखा यादव ने दिखा दिया कि अगर मेहनत और लगन हो तो कोई भी बाधा सफलता के रास्ते में नहीं आ सकती। उनकी कहानी हर उस युवा के लिए प्रेरणास्रोत है, जो अपने सपनों को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
शिखा का सपना: अब अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भारत के लिए पदक जीतना है।